anuradha paudwal duhai hai duhai şarkı sözleri
दुहाई है दुहाई दिल ने कैसी चोट खाई
दुहाई है दुहाई दिल ने कैसी चोट खाई
सोलह साल में फँस गई तेरे जाल में
मैं फँस गई तेरे जाल में
अरे तूने कहाँ जाना जी
तेरा ये दीवाना किस हाल में
हाए हाए हाए मेरी जाँ
फँस गई तेरे जाल में
मैं फँस गई रे तेरे जाल में
रूप का सोहना पड़ गया काला प्यार की आग में तप के
रूप का सोहना पड़ गया काला प्यार की आग में तप के
प्यार का प्यासा बन गया जोगी
रूप की माला जप के
हो प्यास बुझा दे मर जाऊं ना
प्यासी तड़प तड़प के
आ जा आ जा न जा मेरी प्यासी बाहों में
हो हो हो हो
दुहाई है दुहाई दिल ने कैसी चोट खाई
सोलह साल में फँस गई तेरे जाल में
मैं फँस गई तेरे जाल में
मैं फँस गई तेरे जाल में
अंग से तेरे अंग मिले तो
मन में उड़े चिंगारी
अंग से तेरे अंग मिले तो
मन में उड़े चिंगारी
जाने ये कैसी अगन है
इसकी जल में रहे इतनी प्यारी
ओ हो इसी आग में जल जाने दे
काँसिन उम्र कवारी
इन शोलों में मिल गई जल के
दो दिल प्यार की राहों में
दुहाई है दुहाई दिल ने कैसी चोट खाई
सोलह साल में फँस गई तेरे जाल में
मैं फँस गई तेरे जाल में
अरे तूने कहाँ जाना जी
तेरा ये दीवाना किस हाल में
हाए हाए हाए मेरी जाँ
फँस गया तेरे जाल में
मैं फँस गई तेरे जाल में
मैं फँस गया तेरे जाल में
मैं फँस गई तेरे जाल में