anuradha paudwal ek daur woh bhi tha şarkı sözleri
एक दौर वो भी था
एक दौर ये भी है
एक दौर वो भी था
एक दौर ये भी है
एक दौर ये भी है
एक दौर वो भी था
हम जो कह न पाते थे, आप वो भी सुनते थे
काँटों को परे करके, एक फूल चुनते थे
एक ख़्वाब बुनते थे
एक दौर वो भी था
एक दौर ये भी है
जो भी कहना सुनना है, ख़ुद से कहते सुनते हैं
फूल हो कि काँटे हों, अपने आप ही चुनते हैं
जितने सपने टूटे हैं, उतने सपने बुनते हैं
एक दौर ये भी है
ये भी है, ये भी है
एक दौर वो भी था
हम जहाँ भी जाते थे, साथ-साथ जाते थे
साथ लड़खड़ाते थे
साथ लड़खड़ाते तो, हम सँभल भी जाते थे
हम सँभल भी जाते थे
एक दौर वो भी था
एक दौर ये भी है
अब जहाँ भी जाते हैं, पूछते हैं रस्ते भी
क्यों अकेले फिरते हो
इस तरह सँभलना क्या, लगता है के गिरते हो
लगता है के गिरते हो
एक दौर ये भी है
एक दौर ये भी है
ये भी है, ये भी है
एक दौर वो भी था, जब बहुत थी नज़दीकी
एक दौर ये भी है, जब है उतनी ही दूरी
किसको दोष दे कोई, वक़्त की ये मजबूरी
रात बाक़ी है लेकिन, नींद हो चुकी पूरी
एक दौर वो भी था वो भी था वो भी था
एक दौर ये भी है ये भी है ये भी है