anuradha paudwal kaliyug ki sita şarkı sözleri

कलियुग की सीता की उलझन मत पूछ मेरे मन बैरागी जीवन भर का बनवास लिया हो राम के घर को भी त्यागी कलियुग की सीता की उलझन हर कदम पे उसका हरण हुआ हर मोड़ पे रावण को देखा जब सैय्यम का धीरज टूटा खुद लाँघ चलि लक्ष्मण रेखा न रंग महल उसको भाया वोह सारी खुशियाँ को तज भागी हाय कलियुग की सीता की उलझन नाकाम हुई बदनाम हुई कल तक थी श्रद्धा की मूरत दर दर भटकी मारी मारी अस्वन में डूब गयी सूरत काँटों पे आई नींद ज़रा फूलों की बिस्तर पे जागी हाय कलियुग की सीता की उलझन मत पूछ मेरे मन बैरागी जीवन भर का बनवास लिया वो राम के घर को भी त्यागी कलियुग की सीता की उलझन
Sanatçı: Anuradha Paudwal
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 5:58
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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