anuradha paudwal sadiyon ka hai silsila şarkı sözleri

सदियों का है सिलसिला पहचान ये पुराणी हैं सदियों का है सिलसिला पहचान ये पुराणी हैं दुनिया के गुलशन में आये बहार बन के मीत मेरे मन के हो मीत मेरे मन में सदियों का है सिलसिला पहचान ये पुराणी हैं सदियों का है सिलसिला पहचान ये पुराणी हैं दुनिया के गुलशन में आये बहार बन के मीत मेरे मन के हो मीत मेरे मन में तडपाया मिलने से पहले हमें मिल के भी तरसया तुमने सनम पाओं मैं ज़ंजीर थी शर्म की चाहा मगर बढ़ सके न कदम अब न रही वो दूरि ख़त्म हुयी मजबूरी मिल ही गए आज हम हो दुनिया के गुलशन में आये बहार बनके मीत मेरे मन के हो मीत मेरे मन के हो हो ओ ओ ओ साये में जिस के मिले तुमसे हम ऐसी ही बरसात की शाम थी मोती की जो बून्द तन पे पड़ी लायी ख़ुशी का वह पैग़ाम थी मस्ताने मौसम की प्यार भरी वो चिट्ठी दीवानो के नाम थी ओ दुनिया के गुलशन में आये बहार बनके मीत मेरे मन के हो मीत मेरे मन के शाखो पे जैसे नए गुल खिले हम भी नए रूप में यूँ मिले खुशबू न बदली कभी प्यार की बनते रहे प्यार के सिलसिले उल्फत की राहों में मंज़िल की चाहो में बढ़ते रहे काफिले हो दुनिया के गुलशन में आये बहार बनके मीत मेरे मन के हो मीत मेरे मन के सदियों का है सिलसिला पहचान ये पुराणी हैं सदियों का है सिलसिला पहचान ये पुराणी हैं दुनिया के गुलशन में (दुनिया के गुलशन में) आये बहार बनके (आये बहार बनके) मीत मेरे मन के (मीत मेरे मन के) हो मीत मेरे मन के (हो मीत मेरे मन के)
Sanatçı: Anuradha Paudwal
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 6:32
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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