anuradha paudwal zindagi is tarah şarkı sözleri

ज़िन्दगी इस तरह से लगने लगी रंग उड़ जाए जो दीवारों से अब छुपाने को अपना कुछ ना रहा ज़ख्म दिखने लगी दरारों से मैं तेरे जिस्म की हूँ परछाई मुझको कैसे रखोगे खुद से जुदा भूल करना तो मेरी फितरत है क्यूँ की इन्साँ हूँ मैं नहीं हूँ खुदा क्यूँ की इन्साँ हूँ मैं नहीं हूँ खुदा मुझको है अपनी हर खता मंजूर भूल हो जाती है इंसानों से अब छुपाने को अपना कुछ ना रहा ज़ख्म दिखने लगी दरारों से जब कभी शाम के अंधेरों में राह पंछी जो भूल जाते हैं वो सुबह होते ही मीलों चलकर अपनी शाखों पे लौट आते हैं अपनी शाखों पे लौट आते हैं कुछ हमारे भी साथ ऐसा हुआ हम यही केह रहे इशारों से ज़िन्दगी इस तरह से लगने लगी रंग उड़ जाए जो दीवारों से अब छुपाने को अपना कुछ ना रहा ज़ख्म दिखने लगे दरारों से
Sanatçı: Anuradha Paudwal
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 5:40
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
Anuradha Paudwal hakkında bilgi girilmemiş.

Fotoğrafı