asha bhosle ae gham-e-dil kya karoon [film -thokar with commentry] şarkı sözleri
यह 1952 की फ़िल्म जाल का गीत था
शायर थे जनाब लुधियानवी साहब, और संगीतकार एस.डी. बर्मन
जो बचपन की मासूमियत में जवानी का नशा घोलकर तराने बनाया करते थे
यह गीत गाया था हेमंत कुमार ने, जो आगे चलकर संगीतकार के रूप में भी
किन-किन बुलंदियों तक पहुंचे, यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
अब आ रहे हैं दो ऐसे लोग, जिन्होंने आगे चलकर
"गीतमाला" की हिट पर हिट गीतमाला की "संगीत सीढ़ी" पर धमाल मचाया
यसाहब, अलबत्ता 1953 के इस गीत के शायर इस दुनिया को
बहुत जल्द छोड़कर किसी और क्षेत्र में चले गए। उनका नाम था बलबीरनाथ
आवाज़ आशा भोसले की थी
संगीत निर्देशन सरगम के सरताज सरदार मलिक
और फिल्म थी "ठोकर
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ
ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ
मुझको क़िस्मत ने बनाया, गंदले पानी का कंवल
ख़ाक में मिल मिल गए सब, आरज़ू के ये महल
क्या खबर थी यूँ मेरी तक़दीर जाएगी बदल
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ
रूठने वाले किसी, मजबूर से रूठेगा क्या
जिस तरह क़िस्मत ने लूटा, यूँ कोई लूटेगा क्या
ये मेरे टूटे हुए दिल, और तू टूटेगा क्या
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ
आ आ