ashwin alok meri ek kavita ho tum şarkı sözleri
मेरे उस एकाकी के अंधकार में किरणों का अंबार सी,
जीवन में साँसो के व्यापार सी,
सुबह की पहली किरण लिए पत्तों मे बहती तान सी,
इस मतलबी दुनिया से अनजान सी,
हँसती - इठलाती सपनों के संसार में गुम,
मेरी एक कविता हो तुम।
वो जो घूँग्राले बालों की लट बनाया करती थी,
वो जो तीखी आँखों से घूरती चली आया करती थी,
वो जो ग़लतियाँ कर के भी छुपाया करती थी,
वो जो मन ही मन मुस्कुराया करती थी,
मेरे शब्दों को एहसास बनाने वाली हो तुम,
हाँ, मेरी एक कविता हो तुम।
आँखो में लिए मस्ती सी,
प्यार की पूरी एक बस्ती सी,
ताने भी तो खूब तुम कसती थी,
गगन में तैरती प्यार की एक कश्ती सी,
जो शब्दों में ना बंधी, चुनौतियों से ना सधी,
मेरी वो कल्पना हो तुम,
मेरी एक कविता हो तुम ।
मधोशि में होश सी,
दर्द में मेरा जोश सी,
मेरे हर लम्हें से जुड़ी सी,
मेरे हर पल की प्यास सी,
जीवन की कई कल्पनाओं की सरिता सी तुम,
हाँ, मेरी एक कविता हो तुम।
मेरी एक कविता हो तुम।

