babban khan achha unhen dekha hai şarkı sözleri
अच्छा उन्हे देखा है
बीमार हुई आँखे
अच्छा उन्हे देखा है
बीमार हुई आँखे
मुरझाई सी रहती है
घबराई सी रहती
माशुको की महफ़िल में
शरमाई सी रहती हे
शरमाई सी रहती हे
क्या जाने हुआ क्या है
क्या जाने हुआ क्या है
पत्थराई सी रहती है
पत्थराई सी रहती है
अच्छा उन्हे देखा
बीमार हुई आँखे
शौक भी लूटा बैठी
मस्ती भी गँवा बैठी
उठती है ना झुकती है
क्या रोग लगा बैठी
क्या रोग लगा बैठी
क्या रोग लगा बैठी
के बीमार हुई आँखे
अच्छा उन्हे देखा
बीमार हुई आँखे
किस तरह हटे दिल से
वादा है सित्तमगढ़ से
वादा है सित्तमगढ़ से
कहती है लगन दिल की
वो चल भी चुके घर से
वो चल भी चुके घर से
है फासला दम भर का
फिर देख समा घर का
वो हिलने लगी चिलमन
वो हिलने लगी चिलमन
वो परदा आई दर सरका
वो परदा आई दर सरका
लो आ ही गया कोई लो
लो आ ही गया कोई लो
लो आ ही गया कोई लो चार हुई
आँखे सरशार हुई आँखे
अच्छा उन्हे देखा
बीमार हुई आँखे
वो नक़ाब रुक से उठाए क्यो
वो बहारे हुस्न लुटाए क्यो
सारे बज़म जलवा दिखाए क्यो
तुम्हे अँखियो से पिलाए क्यो
के वो अपने नशे में चूर है
के वो अपने नशे में चूर है
जो नशे मे चूर रहे सदा
उसे तेरे हाल का क्या पता रहा
यही दिल का मामला
मगर उसकी कोई नही खता
तेरी आँख का ये कसूर
तेरी आँख का ये कसूर
तेरी आँखो पे परदा
तेरी आँखो पे परदा
तेरी आँखो पे परदा
तेरी आँखो पे परदा
लाचार हुई आँखे
लाचार हुई आँखे
अच्छा उन्हे देखा है
बीमार हुई आँखे
हमने आज एक ख्वाब देखा है
खवाब भी लाजवाब देखा है
कोई ताबिर उसकी बतलाओ रात का
आफताब देखा है
यानी ज़िदा शराब देखोगे
यानी ज़िदा शराब देखोगे
हुस्न को बे नकाब देखोगे
हुस्न को बे नकाब देखोगे
रात का आफताब देखा है
सुबह को महताब देखोगे
सुबह को महताब देखोगे
चाँदनी में उठी घटा जैसे
चाँदनी में उठी घटा जैसे
डरे मायकना खुल गया जैसे
ये फ़साना सही हसीं तो हे
नशे में रच गयी अदा जैसे
कोई तुमसे भी न हो दीवाना
तुम हकीकत को समझे अफसाना
चांदनी उसका रंग जुल्फ घटा
और आँख हे मेहखना
मयखाने में पहुँची तो
मयखाने में पहुँची तो
मयखाने में पहुँची तो
मयखाने में पहुँची तो
मयकवार हुई आँखे
मयकवार हुई आँखे
गुलनार हुई आँखे
अच्छा उन्हे देखा है
बीमार हुई आँखे