badshah jawaab şarkı sözleri
ये मुनासिब होगा हमको थामलो के
हम भी चाँद ढूँदने लगे हैं बादलों में
नाम शामिल हो चुका है अपना पागलों में
मतलबी इस दुनिया से किनारे कर लूँ
नाम तेरे सारी की सारी बहारें कर दूं
बस चले तो तेरे हाथ में सितारे रख दूं, हु हु हु
शाम का रंग क्यों
तेरे रंग में मिल रहा है
दिल मेरा तेरे संग
बैठ कर क्यों खिल रहा है
है कोई जवाब ओ मेरे जनाब
है कोई जवाब इस बात का
आपके अपने ही हैं हमको जानिए तो
इस शरम के लहजे को पहचानिए तो
बात बन जाएगी बात मानिए तो, हु हु हु
क्या है कुछ नही ये चार दिन की ज़िंदगानी
तारों के हेर फेर की ये करिस्तानी
ना कभी भी मिटने वाली लिख दे कहानी
आपकी आँखों में जो लिखा
मैं पढ़ रहा हूँ
बात वो होंठ पर कब आएगी
इंतज़ार कर रहा हूँ
है कोई जवाब ओ मेरे जनाब
है कोई जवाब इस बात का
बुनते रहें या ना बुने ये ख्वाब
है कोई जवाब इस बात का

