dada bhagwan satsang ki mahima kya hai şarkı sözleri
सत्संग की महिमा क्या है पहचान ले ज़रा पहचान ले ज़रा
बीज ज्ञान का मिला है अब तो सींच ले ज़रा उसे सींच ले ज़रा
सत्संग की महिमा क्या है पहचान ले ज़रा पहचान ले ज़रा
बढ़ते हैं ज़हाँ अपने लक्ष अनुभव प्रतीति लक्ष अनुभव प्रतीति
उस परमहंस की सभा पर हमें तो है प्रीति हमें तो है प्रीति
ज्ञान का एक एक मोती चुन ले तू ज़रा हाँ चुन ले तू ज़रा
सत्संग की महिमा क्या है पहचान ले ज़रा पहचान ले ज़रा
मिलता है बहुत पुण्य से आने को यहाँ पर आने को यहाँ पर
रहें देवगण भी आतुर आने को यहाँ पर आने को यहाँ पर
रियल में रहकर रिलेटिव को समझ ले ज़रा हाँ समझ ले ज़रा
बीज ज्ञान का मिला है अब तो सींच ले ज़रा उसे सींच ले ज़रा
क्षणभर का आनंद यहाँ दिलवा दे देव गति दिलवा दे देव गति
ज्ञान की इस गंगा में अब लगा दे तू भी डुबकी लगा दे तू भी डुबकी
चित्त शुद्धि का ये तरीका सबसे है आसान हाँ सबसे है आसान
सत्संग की महिमा क्या है पहचान ले ज़रा पहचान ले ज़रा
वीतरागी वाणी ज्ञानी की करे पाप भस्मीभूत करे पाप भस्मीभूत
समझो बस करना कुछ भी नहीं यही बात है अद्भुत यही बात है अद्भुत
ज्ञानी के सानिध्य का ये है करिश्मा हाँ ये है करिश्मा
बीज ज्ञान का मिला है अब तो सींच ले ज़रा उसे सींच ले ज़रा
दृष्टि बने निर्दोष ये ऐसा आँखों का अंजन ऐसा आँखों का अंजन
खो जाएगा पुद्गल तो बनेगा आत्म रंजन बनेगा आत्म रंजन
सीखो देख देखकर आसान रास्ता आसान रास्ता
सत्संग की महिमा क्या है पहचान ले ज़रा पहचान ले ज़रा
बीज ज्ञान का मिला है अब तो सींच ले ज़रा उसे सींच ले ज़रा