daksh dutta matargashti şarkı sözleri Yazdır मटरगश्ती खुली सड़क में तगड़ी तड़क भड़क में ओले गिरे सुलगते से सुलगते से सड़क में छतरी ना थी बगल में आया ही ना अकल में के भागे हम या भीगे हम अकड़ में तो सोचा...