d.k. verma lagi aaj sawan ki şarkı sözleri
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
वही आग सिने मे फिर जल पड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
कुछ ऐसे ही दिन थे वो जब हम मिले थे
चमन मे नही फूल दिल मे खिले थे
वही तो है मौसम मगर रुत नही वो
मेरे साथ बरसात भी रो पड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
कोई काश दिल पे ज़रा हाथ रख दे
मेरे दिल के टुकड़ो को एक साथ रख दे
मगर ये है ख्वाबो ख़यालो की बाते
कभी टूट कर चीज़ कोई जुड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
वही आग सिने मे फिर जल पड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है