d.s. ruben kitna woh beqarar hai şarkı sözleri
कितना वो बेक़रार थी
कितना वो बेक़रार थी
जो रात कल गयी
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़ की
तबीयत बहेल गयी
कितना वो बेक़रार थी
जो रात कल गयी
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़ की
तबीयत बहेल गयी
कितना वो बेक़रार थी
पाकर तेरी नज़र का
इशारा बहार में
पाकर तेरी नज़र का
इशारा बहार में
बादे सबा भी रंगे आ
बादे सबा भी रंगे
गुलिस्ताँ में ढाल गयी
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़ की
तबीयत बहेल गयी
कितना वो बेक़रार थी
मुझको था इंतज़ार
आज़ल का तमाम रात
मुझको था इंतज़ार
आज़ल का तमाम रात
वो भी मेरे करीब से आ
वो भी मेरे करीब से
हासकर निकल गयी
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़ की
तबीयत बहेल गयी
कितना वो बेक़रार थी
देखी जो मैने ज़िंदगी
बुजते चराग़ की
देखी जो मैने ज़िंदगी
बुजते चराग़ की
जीने की आरज़ू मेरे आ
जीने की आरज़ू
मेरे दिल से निकल गयी
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़
की तबीयत बहेल गयी
कितना वो बेक़रार थी
मिलना था जब मुझे
इसी ख़ाके दयार में
मिलना था जब मुझे
इसी ख़ाके दयार में
फिर क्या बताओन किस जगाह आ
फिर क्या बताओन किस
जगाह लेकर आज़ल गयी
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़ की
तबीयत बहेल गयी
कितना वो बेक़रार थी
जो रात कल गयी
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़ की
तुम आ गये मरीज़ की
तबीयत बहेल गयी
कितना वो बेक़रार थी