gaurav medatwal niyam ho şarkı sözleri
अपनी तकदीर जो अपने हाथों लिखे
अपनी हस्ती बना सके
राजा या रंक हो जग उसके संग हो
ज्यादा जो अंक पा सके
नियम हो नियम हो नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो
बेड़ी अज्ञान की पिघला के ज्ञान से
बंदी सपने छुड़ा सके
बंदी सपने छुड़ा सके
कुदरत में एक सा हक सबको है दिया
सब हक अपना कमा सकें
नियम हो नियम हो नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो
कोई हुनर जिसमें हो
समय उसका ही बदलता है
ओ…माटी नज़र आता हो
पिघलकर सोना उगलता है
क्या लेना जात से क्या लेना नाम से
पेहचाने सबको उनके काम से
बोये दस्तूर ने जितने मतभेद हैं
उनको जड़ से मिटा सकें
राजा या रंक हो जग उसके संग हो
ज्यादा जो अंक पा सकें
नियम हो नियम हो नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो
नियम हो नियम हो नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो

