hero and king of jhankar studio aao kanhai mere dham [jhankar beats] şarkı sözleri
अपनों को कब है शाम
अपनों को कब है शाम
मुख दिखलाओगे
ऐसे में आये न फिर कब आओगे
एकल बेकल पंथ निहारे
एकल बेकल पंथ निहारे
तुम्हरे दरश में प्यासे तमाम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम
बन मैं राम बस्ती में देखा है चहु और
प्रभु तुमसे बाँधी है आशाओं डोर
अब ऊलजाओ या सुलजाओ
अब ऊलजाओ या सुलजाओ
आन पड़ा