Jagjit Singh

आँखों में जल रहा है क्यों

jagjit singh आँखों में जल रहा है क्यों şarkı sözleri

आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ चूल्हें नहीं जलाये या बस्ती ही जल गई चूल्हें नहीं जलाये या बस्ती ही जल गई कुछ रोज़ हो गये हैं अब उठता नहीं धुआँ कुछ रोज़ हो गये हैं अब उठता नहीं धुआँ आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ आँखों के पोछने से लगा आँच का पता आँखों के पोछने से लगा आँच का पता यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ आँखो से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं आँखो से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं मेहमान यह घरमें आये तो चुभता नहीं धुआँ उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ आँखो मे जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 5:18
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
Jagjit Singh hakkında bilgi girilmemiş.

Fotoğrafı