jagjit singh aaj ke daur mein ae dost ye manjhar şarkı sözleri

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है जब हकीक़त है, की हर जर्रे में तू रहता है जब हकीक़त है, की हर जर्रे में तू रहता है फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद, कही मंदिर क्यूँ है जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी अपनी नजरों में हर इंसान सिकंदर क्यूँ है जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है ज़िन्दगी जीने के काबिल ही नहीं, अब फाकिर ज़िन्दगी जीने के काबिल ही नहीं, अब फाकिर वरना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यूँ है जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 6:24
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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