jagjit singh aye gham - e - dil kya karoon şarkı sözleri

शहर की रात और मैं नाशाद-ओ-नाकारा फ़िरूँ जगमगाती जागती, सड़कों पे आवारा फ़िरूँ गैर की बस्ती है कब तक दरबदर मारा फिरूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ ये रूपहली छाँव ये आकाश पर तारों का जाल जैसे सूफ़ी का तसव्वुर, जैसे आशिक़ का खयाल आह लेकिन कौन समझे, कौन जाने दिल का हाल ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ जी मे आता है ये मुर्दा चाँद तारे नोच लूँ इस किनारे नोच लूँ और उस किनारे नोच लूँ एक दो का जिक्र क्या सारे के सारे नोच लूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ रास्ते में रुक के दम ले लू, ये मेरी आदत नहीं लौट कर वापस चला जाऊँ मेरी फ़ितरत नहीं और कोई हमनवा मिल जाए ये क़िस्मत नहीं ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 4:27
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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