jagjit singh dard ke phool bhi şarkı sözleri

दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी सर झुकाए हुए चुपचाप गुज़र जाते हैं रास्ता रोके खड़ी है यही उलझन कब से रास्ता रोके खड़ी है यही उलझन कब से कोई पूछे तो कहें क्या कि किधर जाते हैं ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं नर्म आवाज़, भली बातें, मुहज़्ज़ब लहजे नर्म आवाज़, भली बातें, मुहज़्ज़ब लहजे पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 5:46
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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