Jagjit Singh

Dost Ghamkhwari Mein Meri Sahi Farmayenge Kya

jagjit singh dost ghamkhwari mein meri sahi farmayenge kya şarkı sözleri

दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सई फ़र्मावेंगे क्या ज़ख़्म के भरने तलक नाख़ून न बढ़ जावेंगे क्या हज़रत-ए-नासेह गर आयें दीदा-ओ-दिल, फ़र्श-ए-राह हज़रत-ए-नासेह गर आयें दीदा-ओ-दिल, फ़र्श-ए-राह कोई मुझको ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या गर किया नासेह ने हमको क़ैद, अच्छा, यों सही ये जुनून-ए-इश्क़ के अन्दाज़ छुट जावेंगे क्या ख़ानाज़ाद-ए-ज़ुल्फ़ हैं ज़न्जीर से भागेंगे क्यों हैं गिरफ़्तार-ए-वफ़ा, ज़िन्दाँ से घबरावेंगे क्या है अब इस मा’मूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त ‘असद’ है अब इस मा’मूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त ‘असद’ हमने ये माना कि दिल्ली में रहे, खावेंगे क्या
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 2:36
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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