jagjit singh hari bin kaun sahay şarkı sözleri
हरि बिन कौन सहाई मन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
मात पिता, भाई सुत बनता
मात पिता, भाई सुत बनता
इत लागो सब फ़न का
हरि बिन कौन सहाई मन का
आगे का केछु तुलहा बांधों
आगे का केछु तुलहा बांधों
क्या भरवा सौथन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
कहाँ बिसासा इस भांडे का
कहाँ बिसासा इस भांडे का
इत-नक लागे ठनका
हरि बिन कौन सहाई मन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
सगल धर्म पुण्य फल पावों
सगल धर्म पुण्य फल पावों
धुर पाछों सब जन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
कहें कबीर सुनो रे संतों
कहें कबीर सुनो रे संतों
एह मन उड़ेंन पखेरू वन का
एह मन उड़ेंन पखेरू वन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
हरि बिन कौन सहाई मन का
मात पिता, भाई सुत बनता
इत लागो सब फ़न का
हरि बिन कौन सहाई मन का
हरि बिन कौन सहाई मन का