jagjit singh hijaab - e - fitna parwar şarkı sözleri
हिज़ाब-ए-फ़ितना परवर अब उठा लेती तो अच्छा था
हिज़ाब-ए-फ़ितना परवर अब उठा लेती तो अच्छा था
खुद अपने हुस्न को परदा बना लेती तो अच्छा था
तेरी नीची नज़र खुद तेरी इस्मत की मुहाफ़िज़ है
तेरी नीची नज़र खुद तेरी इस्मत की मुहाफ़िज़ है
तू इस नश्तर की तेजी आजमा लेती तो अच्छा था
तू इस नश्तर की तेजी आजमा लेती तो अच्छा था
तेरे माथे का टीका मर्द की किस्मत का तारा है
तेरे माथे का टीका मर्द की किस्मत का तारा है
तेरे माथे का टीका मर्द की किस्मत का तारा है
अगर तू साज़े-बेदारी उठा लेती तो अच्छा था
खुद अपने हुस्न को परदा बना लेती तो अच्छा था
तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन
तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन
तू इस आँचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था
तू इस आँचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था