jagjit singh kabse hoon kya bataon şarkı sözleri

क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में कब से हूँ क्या बताऊँ जहान-ए-ख़राब में कब से हूँ क्या बताऊँ जहान-ए-ख़राब में शब हाय हिज्र को भी रखूँ गर हिसाब में मुझ तक कब उनकी बज़्म में, आता था दौर-ए-जाम मुझ तक कब उनकी बज़्म में, आता था दौर-ए-जाम साक़ी ने कुछ मिला ना दिया हो शराब में ता फिर ना इंतज़ार में नींद आये उम्र भर ता फिर ना इंतज़ार में नींद आये उम्र भर आने का अहद कर गये, आए जो ख़्वाब में ग़ालिब छुटी शराब, पर अब भी कभी-कभी ग़ालिब छुटी शराब, पर अब भी कभी-कभी पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में कब से हूँ क्या बताऊँ जहान-ए-ख़राब में शब हाय हिज्र को भी रखूँ गर हिसाब में
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 4:00
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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