jagjit singh kisko qatil main kahoon şarkı sözleri
किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ
किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ
वो भी क्या दिन थे के हर वहम यकीं होता था
वो भी क्या दिन थे के हर वहम यकीं होता था
अब हक़ीकत नज़र आए तो उसे क्या समझूँ
अब हक़ीकत नज़र आए तो उसे क्या समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ
दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे
दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे
ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ
ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ
जुल्म ये है के है यक़्ता तेरी बेगानारवी
जुल्म ये है के है यक़्ता तेरी बेगानारवी
लुत्फ ये है के मैं अब तक तुझे अपना समझूँ
लुत्फ ये हैं के मैं अब तक तुझे अपना समझूँ
किस को कातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ
सब यहाँ दोस्त ही बैठ हैं किसे क्या समझूँ