jagjit singh koi yeh kaise bataye [arth] şarkı sözleri
कोई ये कैसे बता ये के
वो तन्हा क्यों है
वो जो अपना था वोही
और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों है
एक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो
पकड़ले दामन
उसके सीने में समा जाये
हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत हैं तो फिर
फ़ासला इतना क्यों है
दिल ए बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई
एक लुटे घर पे दिया करता हैं दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों है
तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता हैं जनम का रिश्ता
हैं जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है