jagjit singh main bhool jaoon şarkı sözleri
मैं भूल जाऊँ तुम्हें
मैं भूल जाऊँ तुम्हें
अब यही मुनासिब है
मैं भूल जाऊँ तुम्हें
अब यही मुनासिब है
मगर भुलाना भी चाहूँ तो
किस तरह भूलूँ
मगर भुलाना भी चाहूँ तो
किस तरह भूलूँ
कि तुम तो फ़िर भी
हकीकत हो कोई ख्वाब नही
यहाँ तो दिल का ये आलम है
क्या कहूँ कमबख़्त
भुला सका ना ये वो सिलसिला
जो था भी नहीं
भुला सका ना ये वो सिलसिला
जो था भी नहीं
वो इक ख्याल जो आवाज़ तक
गया ही नहीं
वो एक बात जो मैं
कह नहीं सका तुमसे
वो एक रब्त जो हममें कभी
रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब जो कभी
हुआ ही नहीं
अगर ये हाल है दिल का तो
कोई समझाए
अगर ये हाल है दिल का
तो कोई समझाए
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ
किस तरह भूलूँ
कि तुम तो फ़िर भी
हकीकत हो कोई ख्वाब नही
कि तुम तो फ़िर भी
हकीकत हो कोई ख्वाब नही
कि तुम तो फ़िर भी
हकीकत हो कोई ख्वाब नही