jagjit singh parakhana mat şarkı sözleri
परखना मत परखना
मे कोई अपना नही रहता
परखना मत परखना
मे कोई अपना नही रहता
किसी भी आईने मे डियर
तक चेरा नही रहता
परखना मत परखना
मे कोई अपना नही रहता
बड़े लोगो सो मिलने में
हमेशा फासला रखना
बड़े लोगो सो मिलने में
हमेशा फासला रखना
जहा दरिया समंदर
से मिला दरिया नही रहता
परखना मत परखना
मे कोई अपना नही रहता
तुम्हारा शार तो बिल्कुल
नये अंदाज़ वाला है
तुम्हारा शार तो बिल्कुल
नये अंदाज़ वाला है
हमारे शार मे भी अब
कोई हंसा नही रहता
परखना मत परखना
मे कोई अपना नही रहता
मोहबत एक खुसबु है
हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई मे भी
तन्हा नही रहता
परखना मत परखना
मे कोई अपना नही रहता
किसी भी आईने मे डियर
तक चेरा नही रहता
परखना मत परखना
मे कोई अपना नही रहता