jagjit singh phoolon ki tarah şarkı sözleri

फूलों की तरह लब खोल कभी फूलों की तरह लब खोल कभी फूलों की तरह लब खोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी अलफ़ाज़ परखता रहता है अलफ़ाज़ परखता रहता है अलफ़ाज़ परखता रहता है आवाज़ हमारी तोल कभी आवाज़ हमारी तोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी खिड़की में कटी है सब रातें खिड़की में कटी है सब रातें खिड़की में कटी है सब रातें कुछ चौरस और कुछ गोल कभी कुछ चौरस और कुछ गोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह आ आ ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह हो जाता है डाँवांडोल कभी हो जाता है डाँवांडोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी फूलों की तरह लब खोल कभी ख़ुशबू की ज़ुबाँ मे बोल कभी
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 4:56
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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