jagjit singh tere khushboo mein base khat şarkı sözleri
तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त
मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुये ख़त
मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त
मैं जलाता कैसे
जिनको दुनिया की
निगाहों से छुपाये रखा
जिनको इक उम्र
कलेजे से लगाये रखा
दीन जिनको
जिन्हें ईमान बनाये रखा
तेरे खुशबू में बसे ख़त
मैं जलाता कैसे
जिनका हर लफ़्ज़ मुझे याद था
पानी की तरह
याद थे मुझको जो
पैग़ाम ए ज़ुबानी की तरह
मुझको प्यारे थे जो
अनमोल निशानी की तरह
तेरे खुशबू में बसे ख़त
मैं जलाता कैसे
तूने दुनिया की निगाहों
से जो बचकर लिखे
साल ह साल मेरे नाम
बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात को
उठ कर लिखे
तेरे खुशबू में बसे ख़त
मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुये ख़त
मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त
मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा में
बहा आया हूँ
तेरे ख़त आज मैं गंगा में
बहा आया हूँ
आग बहते हुये पानी में
लगा आया हूँ