jagjit singh woh khat ke purze udaa raha tha şarkı sözleri

वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था कुछ और भी हो गया नुमायाँ कुछ और भी हो गया नुमायाँ मैं अपना लिक्खा मिटा रहा था मैं अपना लिक्खा मिटा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था उसी का ईमाँ बदल गया है उसी का ईमाँ बदल गया है कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था वो एक दिन एक अजनबी को वो एक दिन एक अजनबी को मेरी कहानी सुना रहा था मेरी कहानी सुना रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था वो उम्र कम कर रहा था मेरी वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था मैं साल अपने बढ़ा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
Sanatçı: Jagjit Singh
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 5:11
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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