kalyanji-anandji phufaji zara sach sach kaho şarkı sözleri
फूफाजी जरा सच सच कहो
फूफाजी जरा सच सच कहो
फूफी की गुलामी तुम करते हो क्यों
मर्द होकर एक औरत से डरते हो क्यों
अरे बेटा जी वो मेरे फूटे करम
अरे बेटा जी वो मेरे फूटे करम
अपने पैरों पे मारी कुल्हाड़ी मैंने
अपनी दुनिया तो खुद ही उजाड़ी मैंने
अरे बेटा जी हो मेरे फूटे करम
मैं समझा था होगी कोई नाजुक सी फूलवारी
ओ बेटा नाजुक सी फूलवारी
पर जब देखा तो वो निकली
कांटो वाली झाड़ी
हो बेटा कांटो वाली झाड़ी
चिमन लाल सूरत वाले से
चिमन लाल कफन वाले से
रूठ गए गिरधारी
अरे बनाल में मरा गया गल्फाम
बादशाह बन गया अब चिड़ी का गुलाम
अरे बनाल में मरा गया गल्फाम
बादशाह बन गया अब चिड़ी का गुलाम
गुजर गई जो पीड़ थी जितनी
गुजर जाएगी बाकी हो फूफाजी
गुजर जाएगी बाकी
हाय मेरी तो जन्म कुंडली
हो गई तिरची बाकी
हो बीटा जी हो गई तिरची बाकी
झट मंगनी और पट शादी हो
झट मंगनी और पट शादी हो
वो तो मरजी थी मेरी माँ की
वो तो जा बैठी भगवान के द्वार पर
छोड़ कर मुझको तलवार की धार पर
बस उसी दिन से तकरार
बस उसी दिन से तकरार बढ़ने लगी
खूब टूटे प्याले, गाली पड़ने लगी
खूब टूटे प्याले, गाली पड़ने लगी
बेटा जी मेरे फूटे करम
बेटा जी मेरे फूटे करम
अपने पैरों पे मारी कुल्हाड़ी मैंने
अपनी दुनिया तो खुद ही उजाड़ी मैंने
फूफाजी ऐ दिकरा जी
फूफाजी हाय हाय दीकरा जी

