kartik shah main tajdaar şarkı sözleri
बादशाहत है सलामत, तख्त-ओ-ताज पे ये
तलवारें हाथ में लेके आते सम्राट पे
जो कल तहे अपने आज हमलावर अपने घर में
दुश्मन जो आते सामने पलट दू पासें शान से
पहने नक़ाब, यह फसाते अपने जाल में
जिस्म की आग में राख होना तो आम है
शाम से सुबह है बोहत धोखे, पर ना रोके
दुनिया में कोई और नही, अपने ही खंजर घोपते
में ताजदार, बोलो ज़िल्ल-ए-इलाही
खुदा और कायनात की बदल दू में लिखाई
मैं ताजदार
मैं ताजदार (ताजदार दार)
दुनिया घूमती, सब कुछ ना देखे दूरबीन
बहेगी नदी खून की, तलवारें गले भूलती
ललकारा लाखों ने, उनकी उम्मीदें टूट गयी
में बना ताजदार, अब फलक भी कदम चूमती
जीटा ना किसी भ्रम में ना ही संघर्ष में
करता यलगार हू, मेरी फ़तेह होगी जंग में (हे)
में ताजदार, बोलो ज़िल्ल-ए-इलाही
खुदा और कायनात की बदल दू में लिखाई
में ताजदार, बोलो ज़िल्ल-ए-इलाही
खुदा और कायनात की बदल दू में लिखाई

