kartikye gupta sahi aur ghalat şarkı sözleri
कुछ भी नहीं है
तू कुछ भी नहीं है
सोच में मेरी
तू कुछ भी नही है
ना ठोकर खाई
ज़िंदगी में कोई तूने
ना मौज उड़ाई
ज़िंदगी में कोई तूने
ना ठोकर खाई
ज़िंदगी में कोई तूने
ना मौज उड़ाई
ज़िंदगी में कोई तूने
जिस पल में जिया
उस पल में तो जी
करले थोड़ा सा ख़ुद पे यक़ीन
जिस पल में जिया
उस पल में तो जी
करले थोड़ा सा ख़ुद पे यक़ीन
तू ही सही है
एक तू ही सही है
सोच में तेरी
एक तू ही क्यूं सही है
ना पत्ते ना शाखें
ना फूल बिछाए तूने
ना काटों के रस्तों
पे चलना सिखाया तूने
ना पत्ते ना शाखें
ना फूल बिछाए तूने
ना काटों के रस्तों
पे चलना सिखाया तूने
जिस रस्ते चला
उस रस्ते पे भी
करले थोड़ा
बस थोड़ा यक़ीन
जिस रस्ते चला
उस रस्ते पे भी
करले थोड़ा
बस थोड़ा यक़ीन
तू मुझमें ही कहीं
तू मुझमें ही कहीं
एक तू ही ग़लत
और तू ही सही
एक तू ही ग़लत
और तू ही सही |

