kavi pradeep mukhda dekh le prani zara şarkı sözleri

मुखड़ा देख ले देख ले मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दरपन में हो देख ले कितना पूण्य है कितना पाप तेरे जीवन में देख ले दरपन में मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दरपन में कभी तो पल भर सोच ले प्राणी क्या है तेरी करम कहानी कभी तो पल भर सोच ले प्राणी क्या है तेरी करम कहानी पता लगा ले पता लगा ले पडे है कितने दाग तेरे दामन में देख ले दरपन में मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दरपन में खुद को धोखा दे मत बन्दे अच्छे न होते कपट के धंधे खुद को धोखा दे मत बन्दे अच्छे न होते कपट के धंधे सदा न चलता सदा न चलता किसी का नाटक दुनिया के आँगन में देख ले दरपन में मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दरपन में हो देख ले कितना पूण्य है कितना पाप तेरे जीवन में देख ले दरपन में मुखड़ा देख ले प्राणी
Sanatçı: Kavi Pradeep
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 3:31
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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