kavi singh jhootha itihas şarkı sözleri
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे (वंदे मातरम)
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे (वंदे मातरम)
हमको झूठ बताया क्यों सच को गया छुपाया क्यों,यों
शेरों के खून को कर ठंण्डा ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे
हमको झूठ बताया क्यों सच को गया छुपाया क्यों
शेरों के खून को कर ठंण्डा ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
शेरों के खून को कर ठंण्डा ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
निशा सरेशा रेशा निशा सरेशा रेशा (हा आ हा आ)
निशा सरेशा रेशा निशा सरेशा रेशा (हा आ हा आ)
महाराणा प्रताप महान अस्सी किलों का भाला था
एक हजार को मारे अकेला जनता का रखवाला था
हम्म हम्म हम्म हम्म
नाम सुना जब अकबर ने बड़ी मुश्किल होश सभाला था
जब सामने आया बोल बंधुआ लगा जुबा पर ताला था
आ आ आ आ आ आ
बाबर बाबर क्या है अकबर इनको महान बताया क्यों
इनको महान बताया क्यों
शेरों के खून को कर ठंण्डा ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
शेरों के खून को कर ठंण्डा ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
हम्म हम्म हम्म हम्म
चारो वेद पढ़ाने थे जो असली ज्ञान खजाने थे
संस्क्रत भाषा खत्म करी क्यों की हिंदु लोग दबाने थे
गुरुकुल नये बनाने थे शस्त्रों के ज्ञान कराने थे
भारत की असली संस्क्रति के दर्शन करवाने थे
ओंम नमों नमों श्री ओंम नमों नमों
क्यों नहीं दिखाया लोंगों लों गोंको सच भगत सिंह की फॉंसी का
खून खौल जाता उसको पढ़ हर एक भारतवासी का
नेताजी की मौंत के सच को सबके सामने लाना था
चन्द्रशेखर आजाद जी के बारें में जरुर बताना था
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे (वंदे मातरम)
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे (वंदे मातरम)
उधमसिंह के बदले को हमको जरुर पढ़ा देते
कैसे डायर मारा था वो गोली पॉंच दिखा देते
पन्द्रह साल के खुदीरामका जलवा तो दिखला देते
कहॉ साडरस मारा था उस जगह का नाम बता देते
नमन है वीर शहीदों को, नमन है वीर शहीदों को (आ आ आ आ)
नमन है वीर शहीदों को, नमन है वीर शहीदों को (आ आ आ आ)
राजगुरु सुखदेव के बारे में क्यों गया बताया ना
उनके घर परिवार जन्म को क्यों नहीं गया पढ़ाया ना
बटुकेश्वर नकवी तो आजादी का दिवाना था
क्यों बम किया तैयार ये जनता को जरुर बताना था
निशा सरेशा रेशा निशा सरेशा रेशा (हा आ हा आ)
निशा सरेशा रेशा निशा सरेशा रेशा (हा आ हा आ)
अमीचन्द्र मास्टरजी ने लॉर्डहार्डीग को मारा था
सत्रह दिसम्बर फॉसी का दिन देश का खुद को वारा था
उन्नीस अप्रैल अनंतगाठ है फॉसी ऊपर झूल गये
उन्नीसौ दस दे शहादत उनको भी क्यों भूल गये
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे (वंदे मातरम)
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे (वंदे मातरम)
झूठे और फरेवी लोंगों का अब पर्दा फॉस हुआ
लोंगों को अपनी संस्क्रति का है अब आभास हुआ
हम्म हम्म हम्म हम्म
नही झूठ को चलने देंगे सब का है एक लाश हुआ
कविसिंह की बतों का अब लगता है विश्वास हुआ
हा आ आ आ आ
मेरी ये बातें सुन कुछ लोंगों का दिल घवराया क्यों
लोंगों का दिल घवराया क्यों
शेरों के खून को कर ठंण्डा ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
शेरों के खून को कर ठंण्डा ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों
ऐसा इतिहास पढ़ाया क्यों

