kavita krishnamurthy gum sum şarkı sözleri
गुम सूम गुम सूम निशा आई
मौन के धागो से बुन बुन कर
चादर नीली लाई
चादर की कोमल सिलवट मैं
सांसो की गरमाई
प्रीत जीवंत जीवंत च्छाई
गुम सूम गुम सूम निशा आई
मौन के धागो से बुन बुन कर
चादरे नीली लाई
कामना के रंग मे रंगे
आज के गहरे गर्भ मे
कामना के रंग मे रंगे
आज के गहरे गर्भ मे
निरमर्म वर्षा लेकर
सावन भादो बरसे
बदल की भीगे आचल मे
सांसो की गरमाई
प्रीत जीवंत जीवंत च्छाई
गुम सूम गुम सूम निशा आई
मौन के धागी से बुन बुन कर
चादर नीली लाई
प्रेम भरे स्वर तेरे
अश्क उठे एक गूँज लिए
झरते है झार झार प्रीत
झरते है झार झार
पर विधि विहीन संगम
त्तव रे आधार
कपे है तर तर प्रिय
कपे है तर तर
नियम तोड़ने का नियम
नियम तोड़ने का नियम
आकाश आकाश पाठ है
कोमल अघर पार्टी आघात
कोमल अघर पार्टी आघात
नाटक नीली निशा का
दूर आरथनद की नदी
दूर आरथनद की नदी
घाट परनंद स्वर कों सोने
जब पाया आलिंगन का सागर
आलिंगन का सागर
जिसकी आलिंगन मे पाई
सांसो की गरमाई
जीवंत जीवंत च्छाई
गुम सूम गुम सूम निशा आई
मौन के धागी से बुन बुन कर
चादर नीली लाई.