k.k. ek ajnabi şarkı sözleri
एक अजनबी, हसीना से
यूँ मुलाकात, हो गई
फिर क्या हुआ, ये ना पूछो
कुछ ऐसी बात, हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात, हो गई
वो अचानक आ गई
यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
वो अचानक आ गई
यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
चेहरे पे ज़ुल्फ़ें, बिखरी हुई थीं
दिन में रात हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात, हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात, हो गई
ओ जान-ए-मन जान-ए-जिगर
होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
ओ जान-ए-मन जान-ए-जिगर
होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
मैं ने ये कहा तो
मुझसे ख़फ़ा वो
जान-ए-हयात हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात, हो गई
खूबसूरत बात ये
चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
ओ खूबसूरत बात ये
चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
मैं अकेला था मगर
बन गई वो हमसफ़र
वो मेरे साथ हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात, हो गई
एक अजनबी, हसीना से
यूँ मुलाकात, हो गई
अजनबी अजनबी
हम्म म्म