panther dard-e-dil şarkı sözleri
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही
उसने जलाया हुमको
मई उससे जला कब
होता ज़रा बता ऐसा इंसाफ़ कहा पर
दागा कर
फिर उसकी डॉवा कर
बात बस इतनी सी की गया नि तू बता कर
तुमने रुलाया हुमको
आँसू ना बहा पर
होता ज़रा बता ऐसा इंसाफ़ कहा पर
ज़्यादा सुनाया तूने
और फिर सुना कम
बात बस इतनी सी की गया नि तू बता कर
पढ़ा कर तू मेरे बारे पढ़ा कर
जाना है क्या उपर लेके वफ़ा तुझे बचाकर
हँसी गया फंसकर, हँसी गयी भुला कर
कोई घायल ना छूटे जब कोई छोरे गले लगाकर
नज़्म तेरे नाम पे तो देता हू कुछ बड़ा पढ़
हो गयी तू खर्च, करूँगा क्या इतना कमा कर
ज़्यादा सुनाया तूने
और फिर सुना कम
बात बस इतनी सी की गया नि तू बता कर
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही
कहना तो है काफ़ी तुमसे
शायद एक बार तो माँग लॉगी माफी मुझसे
लोग कहते हम ना रह गये है पहले जैसे
शायद तू रह गयी है काफ़ी मुझमे
भारी दुनिया लगती खाली सी है
ना हू अकेला पर अकेलेपन का साथ भी है
तू गयी तो चला गया सुकून भी
अब किसी जिस्म मे तेरे जिस्म सा आराम नि है
चेहरे काफ़ी पर है तेरा चेहरा नही
कहते सब पर कोई तुमसा कहता नही
रहने को है काफ़ी घर मेरे पास
पर ना घर्मे होती तू तो घर भी घर्सा लगता नही
लगता नही घर्सा लगता नही
लगता नहीघर भी घर्सा लगता नही
सबकुछ पाकर भी सब खो दिया है
किया इतना सब पर तू ना तो फिर क्यू किया है
झगड़ता ना है मुझसे अब कोई,
अपने मे हू रहता क्यूकी अपनो को ही खो दिया है
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही
सुनो मेरा दर्द ए दिल
उसने ज़ख़्म दिया फिर वो हँसके चल पड़ी
हम तो उनके मुंतज़ीर
शिकवे लखो पर
चेहरे पे शिकन नही