saad khan mehfil şarkı sözleri
लिख दू ज़िंदगी पे ख़ाके मैं
इक बारी महफ़िल में तो ज़रा जानी आके देख
आके देख, कितने गम इस दिल में
आके देख ज़रा मेरी महफ़िल में
लिख दू ज़िंदगी पे ख़ाके मैं
इक बारी महफ़िल में तो ज़रा जानी आके देख
आके देख, कितने गम इस दिल में
आके देख ज़रा मेरी महफ़िल में
फिल्में नही करता, झूठ इस कलम से लिखा नही जाता
खूबसूरती लफ़्ज़ों की देख सचाई इतनी की अब सहा नही जाता
वो गम, वो गुज़रे पल जब आजाते सामने मुड़ के
चकना चूर ये दिल, केसे समेटू इस दिल के टुकड़े
मुखड़े 2 हर शख्स के
आए ज़िंदगी मुझे तू बक्श दे
मार दू अपनी आरज़ू
छुपा लू ये अपने आँसू
हर रिश्ता खोट से भरा
और बना मैं दोस्त बुरा
मैं सब की सोच में पड़ा
और खुद से मुह ये मुड़ा
अब भीगा तन्हाई क बदल मैं
अब अपनों क लिए भी पागल मैं
अब लगता क मैं ही कम अक़ल
अछाईयाँ मेरी अब बन गयीं हैं हमकतें
आप फिकर ना करें हमारी
हम तैरना सीखे डूब क
हम कड़वे सच में खुश
ना रहना है साए में मीठे झूठ के
लिख दू ज़िंदगी पे ख़ाके मैं
इक बारी महफ़िल में तो ज़रा जानी आके देख
आके देख, कितने गम इस दिल में
आके देख ज़रा मेरी महफ़िल में
लिख दू ज़िंदगी पे ख़ाके मैं
इक बारी महफ़िल में तो ज़रा जानी आके देख
आके देख, कितने गम इस दिल में
आके देख ज़रा मेरी महफ़िल में

