sachin gupta pal reprise [lofi] şarkı sözleri
पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
हम्म पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
हम्म ख्वाहिश है इतनी सी यार
देर तक रुकना अबकी बार
प्यार के लम्हे हों हज़ार
उन्ही में सदियाँ जी लूँगा मैं
हो पल कैसा पल
पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
मटमैले पानियों में
अक्स तेरा दिखता है
ओ बारिश की बूंदा बांदी में
पन्ने धुंधले लिखता है
जो होना है हो जाने दो
तारों को सो जाने दो
साँसों को खो जाने दो ना
अब तेरे बिन मेरा तेरे बिन मेरा
ज़िक्र ही गुम जाएगा
इस पल को कस के थाम लूँ
हथेली से फिर निकल जाए ना
ओह पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
ओ समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना

