sadil ahmed zaroori tha şarkı sözleri

बताओ याद है तुमको वो जब दिल को चुराया था चुराई चीज़ को तुमने ख़ुदा का घर बनाया था वो जब कहते थे मेरा नाम तुम तस्बीह में पढ़ते हो मोहब्बत की नमाज़ों को कज़ा करने से डरते हो मगर अब याद आता है वो बातें थी महज़ बातें कहीं बातों ही बातों में मुकरना भी ज़रूरी था तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था ज़रूरी था की हम दोनों तवाफ़े आरज़ू करते मगर फिर आरज़ूओं का बिखरना भी ज़रूरी था
Sanatçı: Sadil Ahmed
Türü: Belirtilmemiş
Ajans/Yapımcı: Belirtilmemiş
Şarkı Süresi: 1:45
Toplam: kayıtlı şarkı sözü
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