sai aashish peer ki chadar sai sufi poetry şarkı sözleri
पिरोदो अपने ख्वाबो को
जज़्बात को लो बना धागा करो कढ़ाई मेरे भाई
चादर पीर की बनाओ सुनो पेशवाई
हो उजाला आँखों में हर धड़कन बने सिलाई
जज़्बात को बना के धागा करो कढ़ाई मेरे भाई
चादर पीर की बनाओ सुनो पेशवाई
हमको मिला है काम शाही
खोज लो दिल की गहराई
ऐसी बनाओ चादर चमके पीर रहनुमाई
फ़रिश्तो साथ दो मेरा करलो नेक कमाई
चादर पीर की बनाओ सुनो पेशवाई
फटे पुराने कपड़ो में लाखो के दर्द छिपाए
उन्ही कपड़ो मैं ही तो कितने झख्म उठाये
नयी चादर को पेश करने की वो रात आज आई
चादर पीर की बनाओ सुनो पेशवाई

